भारत कोई जमीन का टुकडा नहीं जीता जागता राष्ट्र पुरुष है,
हिमालय इसका मस्तक है,गौरीशंकर शिखा है,
कश्मीर किरीट है, पन्जाब और बंगाल दो विशाल कन्धे है,
दिल्ली इसका दिल है, विन्ध्याचल कटि है,
नर्मदा कर्धनी है, पुर्वी और पशचिमी घाट इसकी दो विशाल जंघाए है,
कन्याकुमारी इसके चरण है, सागर इसके पग पखारता है,
पावस के काले-काले मेघ इसके कुन्तल केश हैं, मलयानिल चँवर डुलाता है,
चाँद और सुरज इसके आरती उतारतें हैं,यह वंदन की भुमी है,
यह अभिनन्दन की भूमी है, यह तर्पण की भूमी है,
यह अर्पण की भूमी है, इसका बिन्दु-बिन्दु गंगाजल है,
इसका कंकर-कंकर शंकर है, हम जीयेंगे तो इसके लिए,
मरेंगे तो इसके लिए, मरजाने के बाद हमारी अस्थियाँ
अगर गंगाजी में डुबो दि जाए, तो उसमें से एक ही आवाज निकलेगी
भारत माता की जय! भारत माता की जय!! भारत माता की जय !!!
-अटल बिहारी वाजपयी
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