Thursday, August 17, 2006

जोदी तोर डाक शुने केउ ना...शे, तोबे एक्ला चोलो रे ---(२)
तोबे एक्ला चोलो, एक्ला चोलो, एक्ला चोलो, एक्ला चोलो रे... ---(२)
जोदी तोर डाक शुने केउ ना...शे, तोबे एक्ला चोलो रे...

जदि केउ कथा न कोए, ओ रे ओ...रे ओ अभागा, केउ कथा न कोए
जदि शबाए थाके मुख फिरायए, शबाए करे भए ---(२)
तबे परान खुले...ओ तुई मुख फुटे तोर मनेर कथा, एकला बलो रे... ---(२)
जोदी तोर डाक शुने केउ ना...शे, तोबे एक्ला चोलो रे...

जदि शबाए फिरे जाये, ओ रे ओ...रे ओ अभागा, शबाए फिरे जाये
जदि गहन पथे जाबार काले, केउ फिरे ना चाए ---(२)
तबे पथेर कांटा...ओ तुई रक्तोमाखा चरोनतले एकला दलो रे... ---(२)
जोदी तोर डाक शुने केउ ना...शे, तोबे एक्ला चोलो रे...

जदि आलो ना धरे, ओ रे ओ...रे ओ अभागा, आलो ना धरे
जदि झड-बादोले आन्धार राते दुयार दाये घरे ---(२)
तबे बज्रानले...आपन बुकेर पान्जर जालीये निये एकला जलो रे... ---(२)
जोदी तोर डाक शुने केउ ना...शे, तोबे एक्ला चोलो रे...

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भारत कोई जमीन का टुकडा नहीं जीता जागता राष्ट्र पुरुष है,

हिमालय इसका मस्तक है,गौरीशंकर शिखा है,

कश्मीर किरीट है, पन्जाब और बंगाल दो विशाल कन्धे है,

दिल्ली इसका दिल है, विन्ध्याचल कटि है,

नर्मदा कर्धनी है, पुर्वी और पशचिमी घाट इसकी दो विशाल जंघाए है,

कन्याकुमारी इसके चरण है, सागर इसके पग पखारता है,


पावस के काले-काले मेघ इसके कुन्तल केश हैं, मलयानिल चँवर डुलाता है,

चाँद और सुरज इसके आरती उतारतें हैं,यह वंदन की भुमी है,

यह अभिनन्दन की भूमी है, यह तर्पण की भूमी है,

यह अर्पण की भूमी है, इसका बिन्दु-बिन्दु गंगाजल है,

इसका कंकर-कंकर शंकर है, हम जीयेंगे तो इसके लिए,

मरेंगे तो इसके लिए, मरजाने के बाद हमारी अस्थियाँ

अगर गंगाजी में डुबो दि जाए, तो उसमें से एक ही आवाज निकलेगी

भारत माता की जय! भारत माता की जय!! भारत माता की जय !!!

-अटल बिहारी वाजपयी

Wednesday, August 16, 2006